किसी को अपना बनाने की चाह मे मैने , ये जहा पा लिया !
फूल न मिले तो क्या, काटो का शहरा बना लिया !
हर आंधी हर तूफान से लड्रते,अंधेरो मे प्रकाश को खोजते , जीवन मे योही बढते,
साबन न आये तो क्या पतझर संग गुनगुना लिया !
हर एक पल, हर एक हसी को याद करते, उठते, बैठते, सोते, जागते, खवाब देखते,
सच न हुये तो क्या, जूठे इन खवाबो मे ये जहा पा् लिया !
किसी को अपना बनाने की चाह मे मैने , ये जहा पा लिया !
I like your poem and i respect your effort.
जवाब देंहटाएंmore i wanna say Mast hai boss...............!!@