All the poems are written by my own hand. its not copied from any source.
फटेहाल इस जिन्दगी में , बस इन गमो की कमी थी, लहू बनके जो निकले उन आसुओ की कमी थी,
कमी थी उन यादो की जिनके बिना जिन्दगी मदहोश हो चली थी, ख़ामोशी से जो नया राह दिलाये, बस एक ऐसे एहसास की कमी थी, फटेहाल इस जिन्दगी में, ......