मंगलवार, 24 जुलाई 2012

चार लाइन दोस्तों के नाम


रूत बदल गए इंतजार में तेरी, 
आई न तुझे याद मेरी,
क्या लिखू मैं, ऐ पगामे मुहब्बत, 
जाती ही नहीं याद तेरी.

सोमवार, 23 जुलाई 2012

अल्फाज तो बहुत हैं


अल्फाज तो बहुत हैं मोहब्बत जताने के लिए, 
मगर वो उल्फत कहाँ से लाउ सनम का दिल चुराने के लिए. 
आहे हर वक्त रहती हैं सासों में दबी, 
कभी आये वो घूँघट में हमें आपना बनाने के लिए.