बुधवार, 1 जून 2011

पद यात्रा

यात्रा बहुत सी होती हैं|आजकल के इस भाग दौर भरे जीवन में व्यक्ति अपने जीवन के कुछ फुरसत भरे लम्हो को यादगार बनाने की चाह में और मानसिक शांति के लिए इन्सान ने यात्रा एक बहुत ही अच्छा जरिया ख़ोज निकला हैं | जहाँ एक तरफ ये यात्रा फुर्सत और मानसिक शांति का एक बहुत ही उत्तम साधन हैं वही दूसरी तरफ ये व्यस्त होने आउट अशांति की वजह  भी|  अरे .... अरे.... अरे.... भाई आप क्यों घबरा गये| मैं आपकी बात नहीं कर रहा | में तो उनकी बात कर रहा हूँ  जिनके लिए ये रोजी रोटी हैं| हाँ सही पहचाना आपने में बात कर रहा हूँ  येर मददगारो का या अधिक आदरणीय शब्दों में यात्रा दलाल भी  कह सकते हैं| ये वैसे व्यक्ति होते है जो आपके यात्रा की पूरी व्यवस्ता करते होते है जो आपके यात्रा की पूरी व्यवस्ता करते है और बतौर मेहेनात्नमा आपसे दो चार पैसे लेकर खुश हो जाते है. ये मददगार लोग यात्राओ को भी आपकी जरुरत की मुताबित वर्गीकरण करके अलग अलग  श्रेणियो में विभाजित कर सकते देते है उदाहरण के तोर पर खतरों से भरा यात्रा, धार्मिक यात्रा, पर्वतिये यात्रा, चिड़िया देखने की यात्रा, जानकर देखने की यात्रा, इत्यादि इनमे खतरों से भरा यात्रा या शुद्ध-शुद्ध शब्दों में Advanture  Tour कहते है, मुझे सबस ज्यादा कुभाती है| अरे भाई यात्रा चाहे जैसी भी हो लेकिन इसका नामकरण ही कुछ इस प्रकार से किया गया है. कि यानायास ही इसकी तरफ दिल मचल उठता है. 

खेर छोरिये इन बातो में आज एक अनोखे यात्रा कि बात करने जा रहा हु. मेरे घर से कार्यस्थल तक कि यात्रा. एक दिन में कार्यस्थल से घर कि और चला, यू तो ये रोज़ ही करता आया हु| और करता ही रहूँगा.
अचानक ही मेरे मन में एक खायाल  आया कि क्यों न आज में अपने चरण के चरण स्पर्स किये और बोला चल भैये अब चल पर. ज्यो-ज्यो में पग आगे बढता मेरी लिए किसी यात्रा मददगार द्वारा प्रदान किये गए किसी खतरों से भरा यात्रा  से कम नहीं था| और साथ ही साथ में दर्शन यात्रा का भी आनंद ले रहा था अरे भाई दर्शन यात्रा से मेरा तात्पर्य है की मैं आँख बंद करके तो नै चल रहा था न |प्रक्रति की अनुपम छठा (लडकियो) का दर्शन भी कर रहा था | तो हो गयी न ये दर्शन यात्रा| जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता गया मेरी ये खतरों से भरा यात्रा और भी आश्चर्यजनक होती चली गयी |मेरी नजर एक एसे इन्शान पर पड़ी जो इन्शान कम कंकाल ज्यादा लग रहा था |लग रहा था मनो हवा का एक हल्का झोका भी उडा के जाए| एक साइकल के साथ खड़ा था | उसकी साइकल को देखकर मेरा सीर भारत सरकार की ओर आदर से झुक गया| और मन ही मन सोचने लगा की लोग कितना गलत सोचते हैं सरकर के विषय में देखो कैसे हमारी सभ्यता और संस्कृति को जीवित रखने के लिए गली नुकर पे अजायब घर (Museum) बनवा दिया हैं| तभी मेरे कामो में आवाज आई `अगर आपका पेट ठीक नहीं हैं, वायु दोष रहता हैं, मोटापे से परेसान हैं, घुटनों में दर्द हैं तो सिर्फ ५रुपये और जीवन वहार का आराम | ' तब मैं आत्ममंथन से बहार आया और पाया के साइकल पर एक सूटकेस रखी है और कुछ बिजली के उपकरण भी| जो आवाज मैं सुन रहा था वो भी इसी की थी | अब तो मेरा सीर और व्ही झुक गया लेकिन सरकार की तरफ नहीं इन जनाब की तरफ और मेरा मन इन्हे शत शत प्रणाम करने को कर रहा था| और करे भी क्यों न बाबा रामदाव क्या कर सकते हैं दो चार लोगो को योग सिखाकर | धन्य हो इन साइकल वाले बाबा की जिन्होंने न जाने कैसी कैसो बीमारियों को मात्र ५रुपये में ही ठीक कर देगे| 

मैंने अपने यात्रा के पहले ही दर्शन ने इतना आन्नदविभोर हो गया की मुझे पता ही नहीं चला की मैं कब अपनी यात्रा समाप्त केके घर पहुच गया|