From The Pen Of Rahul
All the poems are written by my own hand. its not copied from any source.
सोमवार, 23 जुलाई 2012
अल्फाज तो बहुत हैं
अल्फाज तो बहुत हैं मोहब्बत जताने के लिए,
मगर वो उल्फत कहाँ से लाउ सनम का दिल चुराने के लिए.
आहे हर वक्त रहती हैं सासों में दबी,
कभी आये वो घूँघट में हमें आपना बनाने के लिए.
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